मडोर में मिली 1300 साल पुरानी खजुराहो शैली की प्रतिमा, ऐतिहासिक खोज

1300 साल पुरानी खजुराहो शैली प्रतिमामध्य प्रदेश के ओरछा स्थित मडोर गाँव में एक प्राचीन और दुर्लभ खजुराहो शैली की प्रतिमा की खोज हुई है। यह प्रतिमा लगभग 1300 साल पुरानी बताई जा रही है, और इसे अब सुरक्षित रखा गया है। इस ऐतिहासिक खोज की शुरुआत मकर संक्रांति पर हुई, जब झाँसी के धर्मेन्द्र सिंह अपने परिवार के साथ मडोर गाँव में बेतवा नदी में स्नान करने गए थे। स्नान के बाद जब वे लौट रहे थे, तो एक पेड़ के नीचे एक पाषाण शिला पाई, जिस पर देवी-देवताओं की प्रतिमाएं उकेरी गई थीं। यह प्रतिमा खजुराहो की शैली में बनाई गई प्रतीत होती है, जो विशेष रूप से चन्देल काल के मंदिरों में पाई जाती है।

मप्र के खजुराहो में चन्देल काल (950 से 1050 ईस्वी) के दौरान नागर शैली की प्रतिमाओं की स्थापना की गई थी। खजुराहो के इन मंदिरों को देखने के लिए पर्यटक दुनिया भर से आते हैं। धर्मेन्द्र सिंह ने इस प्रतिमा को दुर्लभ मानते हुए उसे अपने साथ ले लिया, ताकि इसे चोरी से बचाया जा सके।

पूर्व पुरातत्व अधिकारी डॉ. एसके दुबे ने इस प्रतिमा का अवलोकन करने के बाद इसे सप्त मातृका की प्रतिमा बताया है और इसकी उम्र लगभग 1300 साल बताई है। हालांकि, यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि यह प्रतिमा खजुराहो के किसी मंदिर से संबंधित है या उनकी नकल मात्र है। डॉ. दुबे का कहना है कि इस प्रकार की प्रतिमाएं बुंदेलखंड क्षेत्र में कई स्थानों पर पाई जाती हैं, और इन्हें राजकीय संग्रहालय में सुरक्षित रखा जाता है।

खजुराहो में ऐसी प्रतिमाओं का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है, और इस नई खोज ने मडोर गाँव को एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल बना दिया है।

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