देश में भी होगी विदेश जैसी पढ़ाई और स्किलिंग

शिक्षा मंत्रालय ने भारत में उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने और विदेशों में पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों को देश में ही रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में करीब 13.50 लाख भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए। इनमें सबसे अधिक 4.30 लाख छात्र कनाडा, 3.50 लाख अमेरिका और 1.85 लाख ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए गए।

विदेशों में पढ़ाई की बढ़ती प्रवृत्ति

भारतीय छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना अब केवल शिक्षा नहीं बल्कि स्टेटस सिंबल बन गया है। इससे देश को न केवल प्रतिभा का बल्कि आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। अधिकांश छात्र विदेश में पढ़ाई पूरी करने के बाद वहीं नौकरी कर लेते हैं, जिससे देश में लौटने वाले छात्रों की संख्या बहुत कम हो गई है।

शिक्षा मंत्रालय की नई रणनीति

शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को देश में रोकने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों और उनके पाठ्यक्रमों का अध्ययन शुरू किया है। साथ ही यह समझने का प्रयास किया जा रहा है कि किन विशेषताओं की वजह से छात्र विदेशों की ओर आकर्षित होते हैं।

यूजीसी की प्रमुख पहलें

  • स्नातक पाठ्यक्रमों में इंटर्नशिप अनिवार्य: अब स्नातक के दौरान इंटर्नशिप करना अनिवार्य होगा और इसके लिए छात्रों को क्रेडिट अंक दिए जाएंगे।
  • क्रेडिट-आधारित शिक्षा प्रणाली: किसी भी कोर्स या अनुभव को क्रेडिट अंकों में बदला जा सकेगा। इससे छात्र पढ़ाई को बीच में छोड़ने या दोबारा शुरू करने की स्वतंत्रता पा सकेंगे।
  • विभिन्न क्षेत्रों का अनुभव: शिल्प, संगीत, कला, या किसी भी क्षेत्र का अनुभव अब क्रेडिट में गिना जाएगा, जिससे छात्रों को डिग्री और डिप्लोमा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • स्वतंत्रता विषय चयन में: छात्र अब किसी भी विषय में स्नातक या परास्नातक कर सकते हैं, भले ही उन्होंने 12वीं तक वह विषय न पढ़ा हो।

शिक्षा मंत्रालय का लक्ष्य

सरकार का लक्ष्य 2035 तक उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात (GER) 50% तक बढ़ाना है। इसके लिए भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।

विदेशों में पढ़ाई पर खर्च

रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशों में पढ़ाई के लिए छात्रों को भारी भरकम फीस चुकानी पड़ती है। यह सरकार के लिए चिंता का विषय है क्योंकि इस चलन के कारण देश में न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है बल्कि शिक्षा प्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

सरकार की योजना

सरकार विदेशों में पढ़ाई की खूबियों को अपनाने और उन्हें देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में लागू करने की योजना बना रही है। इससे छात्रों को विदेश जाने की आवश्यकता नहीं होगी और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर की पढ़ाई भारत में ही कर सकेंगे।

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