पॉलिहर्बल फॉर्मूला हुआ पेटेंट
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मुँह के कैंसर के उपचार के लिए एक अद्वितीय पॉलिहर्बल फॉर्मूला तैयार किया है। यह फॉर्मूला पौधों की पत्तियों और छाल का मिश्रण है, और इसे प्रयोगशाला में सफलता प्राप्त हुई है। इस शोध को भारतीय सरकार ने पेटेंट प्रदान किया है। यह फॉर्मूला कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है और इसके बाजार में उपलब्ध होने से इलाज की लागत कम हो सकती है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मुँह के कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, विशेष रूप से तम्बाकू सेवन करने वाले पुरुषों और महिलाओं में। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पौधों की पत्तियों और छाल से एक हर्बल मिश्रण तैयार किया। इस मिश्रण के प्रयोग से कैंसर की कोशिकाओं पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।
शोधकर्ताओं ने इस मिश्रण का परीक्षण चूहे और खरगोशों पर किया, जिसमें सकारात्मक परिणाम सामने आए। इसके बाद इसे आयुर्वेदिक उद्योग के साथ साझेदारी करके बाजार में उतारने की योजना बनाई जा रही है। इस फॉर्मूले में उपयोग किए गए पौधों में होलोपटेला इंटेग्रिफोलिया (चिलबिल), अलबीजिया अमारा (सिरीश), और मोरिंगा ओलिफेरा (ड्रमस्टिक) शामिल हैं। इन पौधों से प्राप्त अर्क को सॉक्सलेट विधि से निकाला गया है।
इस फॉर्मूला की सफलता से बुन्देलखण्ड क्षेत्र के कैंसर मरीजों को सस्ते और प्रभावी इलाज की उम्मीद जगी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह इलाज गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है, क्योंकि यह कम लागत में उपलब्ध होगा।