उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया ठप पड़ी है। प्रदेशभर के प्रतियोगी छात्र और छात्राएं शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। शिक्षकों के पद रिक्त होने के बावजूद, सरकार से अब तक ई-अधियाचन नहीं मिलने के कारण उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (UPSESSB) भर्ती कैलेंडर जारी करने में असमर्थ है।
एडेड माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के पद तीन साल से रिक्त पड़े हैं, जबकि प्रधानाचार्य के 3000 से अधिक पद पिछले 10 वर्षों से खाली हैं। इसके अलावा, बेसिक शिक्षा में छह साल से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया ठप पड़ी है। शिक्षक भर्ती में कोई प्रगति नहीं होने से शिक्षक छात्र अनुपात में असंतुलन बढ़ने का खतरा बना हुआ है।
शिक्षा सेवा चयन आयोग ने 4 जनवरी को विभागीय प्रमुखों के साथ बैठक बुलाई थी, लेकिन अभी तक ई-अधियाचन नहीं भेजा गया है। इससे संबंधित सभी विभागों में आपसी समन्वय की कमी दिख रही है। पिछले कुछ वर्षों में टीजीटी-पीजीटी और अन्य भर्ती प्रक्रिया में लंबा विलंब हो चुका है, जिससे सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी हो गई है।
अटल आवासीय विद्यालयों में 200 से ज्यादा पदों का सृजन हुआ है, लेकिन भर्ती प्रक्रिया अर्हता व नियमावली में अड़चनें आने के कारण रुकी हुई है। अब आयोग की योजना है कि एक और बैठक बुलाकर इस मुद्दे को सुलझाया जाए, ताकि भर्ती कैलेंडर जल्द से जल्द जारी हो सके।
Conclusion: उत्तर प्रदेश में शिक्षा क्षेत्र में रिक्त पदों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन शिक्षा सेवा चयन आयोग को अभी तक ई-अधियाचन नहीं मिलने के कारण भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से ठप है। इन पदों की भर्तियां समय रहते न होने पर प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ने का डर है।