GPS हैकिंग: हवाई यात्रा के लिए बढ़ता साइबर खतरा!

GPS हैकिंग का बढ़ता खतरा: साइबर हमले से विमान हाईजैक और क्रैश का खतरा!

आज के दौर में GPS तकनीक विमानों की सुरक्षा और नेविगेशन के लिए अहम भूमिका निभाती है, लेकिन हाल ही में कई घटनाओं में इसका हैकिंग और जैमिंग सामने आया है। खासकर कमर्शियल एयरलाइंस पर साइबर हमलों की घटनाओं में तेजी आई है।

GPS हैकिंग और विमान सुरक्षा

GPS हैकिंग और जैमिंग क्या है?

GPS हैकिंग का मतलब किसी बाहरी स्त्रोत द्वारा सिग्नल को बाधित करना होता है। इसमें दो प्रकार के साइबर हमले होते हैं:

  1. GPS जैमिंग: इसमें हाई-पावर रेडियो वेव्स भेजकर असली GPS सिग्नल को ओवरराइड कर दिया जाता है, जिससे रिसीवर को सटीक लोकेशन नहीं मिलती।
  2. GPS स्पूफिंग: इसमें नकली GPS सिग्नल भेजे जाते हैं, जिससे विमान या अन्य उपकरणों को गलत लोकेशन और नेविगेशन डेटा प्राप्त होता है।

विमानों के लिए GPS हैकिंग कितना खतरनाक है?

✈️ विमान को गलत दिशा में मोड़ा जा सकता है, जिससे वैकल्पिक रूट लेना पड़ता है।
✈️ पायलट को गलत लोकेशन डेटा मिल सकता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
✈️ खराब मौसम में दृश्यता कम होने पर जैमिंग से लैंडिंग में कठिनाई हो सकती है।
✈️ फ्लाइट को प्रतिबंधित एयरस्पेस में भेजा जा सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
✈️ आतंकवादी हमले या विमान हाईजैक की संभावना बढ़ सकती है।

GPS जैमिंग से बचाव के उपाय

✅ एंटी-जैमिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
✅ वैज्ञानिक नई ऑप्टिकल घड़ियां विकसित कर रहे हैं, जो GPS के बिना भी सटीक समय और नेविगेशन दे सकें।
✅ ब्रिटेन सरकार ने Quantum Enabled Position Navigation and Timing (QEPNT) प्रोजेक्ट लॉन्च किया है, जिससे अगले कुछ सालों में सुरक्षित नेविगेशन प्रणाली विकसित होगी।
✅ भविष्य में इस तकनीक को सैन्य उपकरणों, विमानों और स्मार्टफोन्स में भी लागू करने की योजना है।

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