पहलगाम आतंकी हमला 2025: पाकिस्तान की खुफिया साजिश का पर्दाफाश

पहलगाम आतंकी हमला 2025

पहलगाम आतंकी हमला: पर्यटकों को निशाना बनाकर पाकिस्तान ने कश्मीर में अशांति फैलाने की रची गहरी साजिश

जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान की आतंकी चालों को उजागर कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, इस हमले के पीछे पाकिस्तान की गहरी साजिश थी, जिसका मकसद कश्मीर की बढ़ती शांति और पर्यटन को बाधित करना था।

यह हमला ऐसे समय में हुआ जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत यात्रा पर हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उछालने की कोशिश कर रहा है।

▶ कश्मीर में बदला माहौल बना परेशानी का सबब

हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में हालात काफी हद तक सामान्य हुए हैं। पर्यटकों की संख्या में भारी इज़ाफा, स्थानीय युवाओं की मुख्यधारा में वापसी और निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से सरकार गठन ने पाकिस्तान समर्थित अलगाववादियों की रणनीति को कमजोर कर दिया है।

▶ आतंक के जरिए पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर वार

पाकिस्तान अब छिटपुट हमलों के जरिए घाटी के शांत वातावरण को बिगाड़ना चाहता है। इस बार आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाकर कश्मीर की उभरती अर्थव्यवस्था और पर्यटन उद्योग पर सीधा हमला किया है। इससे न सिर्फ रोजगार प्रभावित होता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी प्रभाव पड़ता है।

▶ पाक सेना की रणनीति और जनरल मुनीर की भूमिका

पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल आसीम मुनीर का नाम फिर चर्चा में है। माना जा रहा है कि सेना की गिरती साख को बचाने और देश को एकजुट करने के लिए इस हमले जैसी घटनाओं का सहारा लिया जा रहा है। यह भी गौरतलब है कि 2019 के पुलवामा हमले के दौरान मुनीर ISI प्रमुख थे और अब सेना प्रमुख बनकर अपने पुराने मंसूबे फिर दोहराते दिख रहे हैं।

▶ इतिहास से सबक नहीं ले रहा पाकिस्तान

पहले भी साल 2000 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा के दौरान चिट्टीसिंहपुरा में सिखों पर आतंकी हमला कर पाकिस्तान ने कश्मीर को लेकर दुनिया का ध्यान खींचने की कोशिश की थी। अब वैसा ही प्रयास 2025 में जेडी वेंस की यात्रा के समय किया गया है।

लेकिन अंतर साफ है — आज आतंकवाद को लेकर दुनिया का नजरिया बदल चुका है। अब भारत की तरफ से की गई किसी भी जवाबी कार्रवाई पर पाकिस्तान को वैश्विक समर्थन मिलना मुश्किल है।

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