12 साल बाद केदारनाथ धाम में फिर गूंजी गंगा आरती

केदारनाथ गंगा आरती

केदारनाथ धाम में 12 वर्षों के बाद पुनः शुरू हुई गंगा आरती

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के पवित्र धाम केदारनाथ में एक बार फिर गंगा आरती की दिव्य ध्वनि गूंज उठी है। वर्ष 2013 में आई भीषण जलप्रलय के कारण बाधित हुई यह नित्य गंगा आरती, अब 12 साल बाद फिर से शुरू हो गई है। श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) और श्री केदार सभा के संयुक्त तत्वाधान में मंदाकिनी नदी के पावन तट पर इसका आयोजन किया जा रहा है।

 केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम

पर्यटन सचिव के निर्देशों के अनुसार, यह भव्य आरती अब केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने तक प्रतिदिन आयोजित की जाएगी, जिससे श्रद्धालुओं को इस आध्यात्मिक अनुभव का लाभ मिल सकेगा।

मंदाकिनी तट बना दिव्य आरती का साक्षी

केदारनाथ में पहले मंदाकिनी और सरस्वती नदी के संगम पर गंगा आरती का आयोजन होता था। लेकिन 2013 की प्राकृतिक आपदा ने इस नित्य क्रिया को रोक दिया था। अब, पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे के विशेष निर्देशों पर, मंदिर समिति ने श्री केदार सभा के सहयोग से और स्थानीय तीर्थ पुरोहितों की सक्रिय भागीदारी के साथ मंदाकिनी तट पर इस भव्य आरती का पुनः शुभारंभ किया है।

खराब मौसम भी नहीं रोक सका उत्साह

खराब मौसम की चुनौतियों के बावजूद, स्थानीय पंडा पुरोहित, मंदिर समिति के कर्मचारी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस पुन: शुरू हुई गंगा आरती में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। मंदिर समिति के मुख्य प्रभारी अधिकारी/अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी ने बताया कि पर्यटन सचिव और मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल के मार्गदर्शन में इस आरती का आयोजन किया जा रहा है। श्री केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, महामंत्री नितिन सेमवाल और अन्य पदाधिकारियों के साथ-साथ मंदिर समिति के सहायक अभियंता गिरीश देवली और मंदिर अधिकारी युद्धवीर पुष्पवान भी आरती की व्यवस्थाओं में सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं।

बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने इस अवसर पर बताया कि केदारनाथ धाम में मंदाकिनी तट पर यह गंगा आरती अब लगातार, कपाट बंद होने की तिथि तक हर दिन आयोजित की जाएगी, जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालु इस पवित्र अनुष्ठान का हिस्सा बन सकें।

निष्कर्ष: केदारनाथ धाम में 12 वर्षों के बाद गंगा आरती का पुनः प्रारंभ होना न केवल स्थानीय लोगों और तीर्थ पुरोहितों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, बल्कि यह उन सभी श्रद्धालुओं के लिए भी एक शुभ समाचार है जो इस पवित्र स्थल की यात्रा करते हैं। यह घटना 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ के धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौटने का भी प्रतीक है।

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