महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा सर्वाइकल कैंसर: कारण और बचाव
भारत में महिलाएं तेजी से सर्वाइकल कैंसर की चपेट में आ रही हैं। खासकर बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में यह बीमारी गंभीर समस्या बनती जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, समय पर इलाज न मिलने की वजह से 35-44 वर्ष की महिलाएं असमय मौत का शिकार हो रही हैं।
सर्वाइकल कैंसर के प्रमुख कारण
सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) है। इसके अलावा, निम्नलिखित कारण भी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं:
- 17 वर्ष से कम उम्र में यौन संबंध बनाना
- एक से अधिक यौन साथी होना
- एचआईवी, हरपीज, या क्लैमाइडिया संक्रमण
- तीन से अधिक बच्चे होना
- इम्यून सिस्टम कमजोर होना
- खराब जननांग स्वच्छता
- लंबे समय तक गर्भ निरोधक गोलियों का उपयोग
- धूम्रपान करना
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है। इसके सामान्य लक्षण हैं:
- मासिक धर्म में अनियमितता
- यौन संबंध के दौरान या बाद में रक्तस्राव
- पेशाब के दौरान खून आना
- सफेद स्राव का बढ़ना
- पैरों और पीठ में दर्द
- बार-बार लघुशंका आना
- वजन घटना
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय
- एचपीवी का टीकाकरण: 9 से 15 वर्ष की आयु की किशोरियों को एचपीवी का टीका लगवाना चाहिए।
- नियमित जांच: समय-समय पर पाप स्मीयर और एचपीवी डीएनए टेस्ट करवाएं।
- स्वच्छता: जननांग की साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- स्वस्थ जीवनशैली: धूम्रपान और अनियमित खानपान से बचें।
सर्वाइकल कैंसर का इलाज
इस बीमारी के इलाज के लिए कई पद्धतियां उपलब्ध हैं:
- कीमोथेरेपी
- रेडिएशन थेरेपी
- सर्जरी (हिस्टेरेक्टॉमी)
- लेजर थेरेपी
- कीमो-रेडिएशन थेरेपी
विशेषज्ञ की राय
डॉ. शोभा चतुर्वेदी (विभागाध्यक्ष, कम्युनिटी मेडिसिन, महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज) के अनुसार, “सर्वाइकल कैंसर का जल्दी निदान और एचपीवी टीकाकरण इसे रोकने में मददगार हो सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने की सख्त जरूरत है।”