
बिजली उपभोक्ताओं को झटका! 25% तक बढ़ सकती हैं बिजली की कीमतें
उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही महंगाई का एक और झटका लग सकता है। पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन प्रदेश में बिजली की दरों में भारी वृद्धि करने की तैयारी में है। यदि कॉरपोरेशन की मांग मानी जाती है, तो बिजली की मौजूदा दरों में औसतन 25 प्रतिशत से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हो सकती है। दरअसल, पावर कॉरपोरेशन वित्तीय संकट से जूझ रहा है और लगभग 9,206 करोड़ रुपये के मौजूदा विद्युत राजस्व घाटे (रेवेन्यू गैप) को देखते हुए पहले से ही बिजली की दरों में 15 प्रतिशत तक की वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा था। हालांकि, अब कॉरपोरेशन प्रबंधन को लगता है कि बिजली कंपनियों को वास्तव में लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का घाटा होगा। इस बड़े घाटे की पूरी तरह से भरपाई के लिए कॉरपोरेशन अब विद्युत नियामक आयोग पर बिजली की दरों में 25 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने का दबाव बनाएगा।
चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पावर कॉरपोरेशन द्वारा पहले दाखिल किए गए 1,13,923 करोड़ रुपये के एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) प्रस्ताव को नियामक आयोग ने 9 मई को स्वीकार कर लिया था। लेकिन बिजली दर निर्धारण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही कॉरपोरेशन प्रबंधन ने नए सिरे से एआरआर दाखिल करने के लिए आयोग से एक सप्ताह का समय मांगा था। सूत्रों के अनुसार, प्रबंधन सोमवार को बिजली कंपनियों का संशोधित एआरआर आयोग में दाखिल करेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि नए एआरआर प्रस्ताव में लगभग 25 हजार करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान लगाया गया है। घाटे के 9,206 करोड़ रुपये से बढ़कर 25 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचने के बाद, कॉरपोरेशन प्रबंधन अब आयोग से मांग करेगा कि बिजली की दरों को इतना बढ़ाया जाए जिससे उसके पूरे घाटे की भरपाई हो सके।
अब तक बिजली कंपनियों के खर्च और आय के आधार पर राजस्व गैप निकालकर बिजली की दरों का निर्धारण होता रहा है। लेकिन पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन का तर्क है कि वास्तव में शत-प्रतिशत बिजली बिलों की वसूली नहीं हो पाती है। इसलिए, आयोग को वास्तविक वसूली को आधार मानते हुए बिजली की दरों को तय करना चाहिए। जानकारों का कहना है कि वर्तमान में 80 प्रतिशत से भी कम बिजली बिलों की वसूली हो पा रही है। इस कारण, जितनी धनराशि की वसूली नहीं हो पा रही है, उसकी भरपाई भी दरों में वृद्धि करके की जानी चाहिए। यदि आयोग ने कॉरपोरेशन की इस मांग को स्वीकार करते हुए बिजली की दरें तय कीं, तो उपभोक्ताओं को मौजूदा दरों पर औसतन 25 प्रतिशत से अधिक का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा।
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