बच्चों में बढ़ता साइबर अपराध का खतरा, कैसे रखें उन्हें सुरक्षित?
डिजिटल युग में मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराध भी बच्चों के लिए एक गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। चौथे सत्र में ‘भयमुक्त डिजिटल इंडिया’ विषय पर पत्रकार ऋतु भारद्वाज ने साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ रक्षित टंडन से चर्चा की, जिसमें उन्होंने ऑनलाइन सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला।
बच्चों के लिए बढ़ता डिजिटल खतरा
रक्षित टंडन के अनुसार, बच्चों की डिजिटल डाइट उनके मानसिक स्वास्थ्य और चरित्र पर गहरा प्रभाव डाल रही है। माता-पिता यह सोचकर बच्चों को मोबाइल देते हैं कि वे सिर्फ गेम खेलेंगे, लेकिन कई बार यह साइबर अपराध में फंसने या उसे अंजाम देने का कारण भी बन जाता है।
हर मिनट में 3 साइबर अपराध
विशेषज्ञ ने बताया कि हर मिनट में 3 साइबर अपराध दर्ज किए जाते हैं। साइबर ठगों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी से बचने के लिए डिजिटल जागरूकता और साइबर हाइजीन को अपनाना आवश्यक है।
कैसे रहें सुरक्षित?
- एपीके फाइल डाउनलोड न करें: अनजान स्रोतों से ऐप इंस्टॉल करने से हैकर्स आपके फोन में सेंध लगा सकते हैं।
- जीरो ट्रस्ट पॉलिसी अपनाएं: किसी भी संदिग्ध लिंक, मैसेज या कॉल पर भरोसा न करें।
- यूपीआई, बैंक डिटेल्स सुरक्षित रखें: साइबर अपराधी पैन कार्ड, आधार और बैंक अकाउंट की जानकारी चुराकर वित्तीय धोखाधड़ी कर सकते हैं।
साइबर सुरक्षा का पालन करें
बच्चों को मोबाइल और इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग सिखाना बेहद जरूरी है। माता-पिता को चाहिए कि वे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें और उन्हें साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक करें।