
उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में बच्चों पर फाइलेरिया सर्वे शुरू, संक्रमण की रोकथाम के लिए बड़ा कदम
उत्तर प्रदेश में फाइलेरिया नियंत्रण के लिए एक विशेष सर्वे अभियान की शुरुआत की गई है। यह ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे (Transmission Assessment Survey) प्रदेश के 13 जिलों में 6 से 7 वर्ष की आयु के बच्चों पर किया जा रहा है, जो कक्षा एक या दो में अध्ययनरत हैं। इस सर्वे के माध्यम से संक्रमण की स्थिति का आंकलन किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर बच्चों को निःशुल्क उपचार भी उपलब्ध कराया जाएगा। यह सर्वे क्यू-फैट किट के माध्यम से किया जा रहा है, जो देश में विकसित एक आधुनिक जांच तकनीक है। जिन बच्चों में फाइलेरिया के लक्षण पाए जाएंगे, उन्हें 12 दिनों तक आशा कार्यकर्ताओं की निगरानी में दवा दी जाएगी। छह महीने बाद उनकी दोबारा जांच भी की जाएगी।
फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जिसमें बुखार और शरीर के किसी भाग में असामान्य सूजन हो जाती है। यह बीमारी मच्छरों के काटने से फैलती है और इसके लक्षण कई वर्षों बाद सामने आते हैं। इससे बचाव के लिए मच्छरों से बचना और सरकारी दवा सेवन कार्यक्रम में भाग लेना जरूरी है। यह सर्वे अंबेडकरनगर, अयोध्या, शाहजहांपुर, पीलीभीत, जौनपुर, मऊ, सोनभद्र, भदोही, बलिया, चित्रकूट, हमीरपुर, जालौन और महोबा के 118 विकास खंडों में किया जा रहा है। इन क्षेत्रों को 72 कार्यान्वयन इकाइयों में विभाजित किया गया है, जहां बच्चों की गहन जांच की जा रही है।
फाइलेरिया से बचाव के उपाय:
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मच्छरदानी का प्रयोग करें।
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साफ-सफाई का ध्यान रखें।
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साल में एक बार सरकार द्वारा दी जाने वाली दवा का सेवन जरूर करें।
राज्य फाइलेरिया अधिकारी डॉ. ए.के. चौधरी ने इस सर्वे को फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
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