होलाष्टक 2025: शुभ-अशुभ नियम और आवश्यक सावधानियां
हिंदू धर्म में होलाष्टक का विशेष महत्व है। यह अवधि होली से आठ दिन पहले प्रारंभ होती है और इसे शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है। 2025 में होलाष्टक 07 मार्च से शुरू होकर 13 मार्च को समाप्त होगा। इस दौरान कौन-कौन से कार्य करने चाहिए और किनसे बचना चाहिए, आइए जानते हैं।
होलाष्टक 2025 कब से शुरू हो रहा है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, होलाष्टक 2025 की शुरुआत 07 मार्च से होगी और इसका समापन 13 मार्च को होलिका दहन के साथ होगा। इस दिन होलिका दहन के बाद सभी प्रकार के शुभ कार्य फिर से प्रारंभ किए जा सकते हैं। 14 मार्च 2025 को रंगों का त्योहार होली मनाया जाएगा।
होलाष्टक में कौन-कौन से कार्य वर्जित हैं?
होलाष्टक की अवधि में कुछ विशेष कार्यों को अशुभ माना जाता है। इस दौरान निम्नलिखित कार्य करने से बचना चाहिए—
✅ बाल और नाखून न काटें: इस अवधि में बाल कटवाना और नाखून काटना शुभ नहीं माना जाता।
✅ विवाह और अन्य शुभ कार्य न करें: विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार और मुंडन संस्कार जैसे शुभ कार्यों से बचना चाहिए।
✅ ब्रह्मचर्य का पालन करें: इस दौरान संयमित जीवनशैली अपनाना आवश्यक होता है।
✅ तामसिक भोजन से बचें: प्याज, लहसुन, मांस, अंडा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
✅ विवाद करने से बचें: परिवार और समाज में शांति बनाए रखना आवश्यक है, इसलिए वाद-विवाद से दूर रहें।
होलाष्टक में क्या करें?
✅ भगवान विष्णु की पूजा करें: इस दौरान श्री विष्णु की उपासना करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
✅ भगवत गीता का पाठ करें: धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन और पाठ करने से लाभ होता है।
✅ हवन और दान करें: इस अवधि में हवन करना पुण्यदायी माना जाता है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और चप्पल दान करने से सकारात्मक फल मिलते हैं।
✅ घर और मंदिर की सफाई करें: घर और पूजा स्थल को प्रतिदिन साफ करने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
होलाष्टक का महत्व क्यों है?
होलाष्टक की अवधि को ऊर्जा संतुलन और आध्यात्मिक शुद्धिकरण का समय माना जाता है। यह समय आत्मनिरीक्षण और ध्यान के लिए उत्तम होता है।
निष्कर्ष
होलाष्टक 2025 की अवधि 07 मार्च से 13 मार्च तक है। इस दौरान शुभ कार्य करने से बचना चाहिए और आध्यात्मिक साधनाओं में अधिक ध्यान देना चाहिए। धार्मिक नियमों का पालन करने से जीवन में शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।