झाँसी के गणेश चौराहा के पास शुक्रवार को एक महिला, राधा सिंह, कार की चपेट में आ गई थीं। उन्हें तत्काल मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में लाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने बताया कि ड्यूटी पर तैनात वार्ड बॉय ने मृतका के पुत्र से 495 रुपये मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए मांगे, जिसे उसने फीस समझकर दे दी। इसके बाद, सफाईकर्मियों ने शव को मोर्चरी तक ले जाने के लिए 300 रुपये की मांग की।
पुलिस की पहुंच से पहले सफाई कर्मियों ने 200 रुपये और लिए
शनिवार को पुलिस पंचनामा भरने के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंची, तो सफाई कर्मियों ने फिर से 200 रुपये की मांग की। इस अवैध वसूली का मामला सीएमएस (Chief Medical Superintendent) तक पहुंचा, जिन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए दो सफाई कर्मियों और शुक्रवार को ड्यूटी पर तैनात वार्ड बॉय को हटा दिया।
सीएमएस ने की कड़ी कार्रवाई कर्मचारियों की सूची बनाई जाएगी
सीएमएस डॉ. सचिन माहुर ने बताया कि उपचार के दौरान किसी की मृत्यु होने या इमरजेंसी वार्ड में मृत घोषित किए जाने पर मृत्यु प्रमाणपत्र निशुल्क जारी किया जाता है। इसके साथ ही पुलिस को सूचित किया जाता है। इस मामले में गलत तरीके से राशि लेने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है, और दोषी कर्मचारियों को 31 दिसंबर तक हटाया जाएगा।
मृतक के परिजनों को भ्रमित करके ली जाती है अवैध राशि
मेडिकल कॉलेज के सूत्रों के अनुसार, मृतक के परिजनों को भ्रमित किया जाता है और उन्हें 495 या 490 रुपये देने के लिए कहा जाता है ताकि वे इसे शुल्क समझकर दे दें। यही कारण है कि लोग पूछताछ नहीं करते और बिना सवाल किए यह राशि दे देते हैं।