झाँसी: बुन्देली तुलसी से बनेगी ग्रीन टी, किसानों का आय में वृद्धि का नया रास्ता

तुलसी की खेतीबुन्देली तुलसी से बनेगी ग्रीन टी, किसानों के लिए नये आय के स्रोत की शुरुआत

झाँसी जिले का बुन्देलखण्ड अब देशभर में अपनी तुलसी की खेती के लिए मशहूर हो रहा है। तुलसी की यह किस्म, खासकर रामा और कृष्णा तुलसी, ग्रीन टी, हर्बल टी, औषधियाँ और सौन्दर्य प्रसाधन बनाने में उपयोग हो रही है। इसके साथ ही कई प्रमुख आयुर्वेदिक कंपनियों ने इन किसानों से करार किया है, जो किसानों की आमदनी को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है।

किसानों को मिल रही नई दिशा, बढ़ रही है आय

बुन्देलखण्ड के किसान अब तुलसी की खेती के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। लगभग ढाई साल पहले गठित बुन्देलखण्ड औषधि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीओ) ने किसानों को तुलसी की खेती के लिए प्रेरित किया। अब तक 1,100 से अधिक किसान इस एफपीओ से जुड़ चुके हैं और 4 हजार एकड़ में कृष्णा और रामा तुलसी की खेती कर रहे हैं।

एफपीओ और सरकार की मदद से बढ़ी उत्पादन क्षमता

एफपीओ की मदद से बुन्देलखण्ड में तुलसी की खेती में व्यापक बदलाव आया है। प्रदेश सरकार की उद्यमिता योजना ने किसानों को न केवल तुलसी की खेती के लिए प्रेरित किया, बल्कि उन्हें इसके लाभ के बारे में भी जागरूक किया। यह योजना किसानों को अन्य औषधियों की खेती करने के लिए भी प्रेरित करेगी।

तुलसी प्रोसेसिंग प्लांट से किसानों को मिल रहा फायदा

बरुआसागर में स्थापित प्रोसेसिंग प्लांट से तुलसी की प्रोसेसिंग की सुविधा मिल रही है। यहाँ झाँसी, जालौन और ललितपुर के किसानों से तुलसी खरीदी जाती है। इसके अलावा उत्पादक सहकारी समितियाँ और महिला स्वयं सहायता समूह भी इसमें भागीदार हैं। इस प्लांट के माध्यम से तुलसी की प्रोसेसिंग बढ़ने से किसानों की आय में और भी वृद्धि हो रही है।

प्रमुख कंपनियां कर रही हैं तुलसी की खरीदारी

देश की प्रमुख आयुर्वेदिक कंपनियां, जैसे पतंजलि, अब बुन्देलखण्ड से उगाई जा रही तुलसी की उच्च गुणवत्ता को पहचान रही हैं और इन्हें खरीदने के लिए संपर्क कर रही हैं। यह किसानों के लिए एक नया अवसर बनकर उभरा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।

वैज्ञानिक शोध और अनुसंधान का बढ़ता प्रभाव

रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय भी तुलसी के उत्पादन में योगदान देने के लिए आगे आया है। विश्वविद्यालय ने तुलसी की खेती पर शोध और अनुसंधान शुरू कर दिया है, जिससे इसके और अधिक उपयोगी गुणों का पता चल सके और किसानों को और अधिक लाभ मिल सके।

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