झाँसी जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में लगी आग, समय रहते टली बड़ी दुर्घटना

नवाबाद और कोतवाली पुलिस

झाँसी जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में आग से मची अफरा-तफरी, सभी बच्चे सुरक्षित

झाँसी: शनिवार शाम करीब 4:30 बजे जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड की छत पर अचानक धुआं उठने से हड़कंप मच गया। जानकारी के अनुसार, छत पर खुले पड़े विद्युत तारों में शॉर्ट सर्किट से चिंगारी निकली, जिससे सूखी पत्तियों ने आग पकड़ ली।

आग की सूचना मिलते ही अस्पताल के स्टाफ ने तुरंत अग्निशमन यंत्रों और पानी की मदद से आग पर काबू पाया। इस दौरान वार्ड में भर्ती 16 बच्चों (उम्र 5 से 15 वर्ष) को सुरक्षित बाहर निकालकर इमरजेंसी और जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।नवाबाद और कोतवाली पुलिस

कैसे लगी आग?

छत पर धूप और गर्मी के कारण कई जगहों पर विद्युत तार क्षतिग्रस्त हो गए थे। तारों में स्पार्किंग से निकली चिंगारी सूखी पत्तियों पर गिरी और आग फैल गई। आग ने वार्ड के कुछ पर्दों को भी चपेट में ले लिया। सौभाग्य से समय पर धुआं देख लिया गया और तुरंत एक्शन लिया गया, जिससे बड़ा हादसा टल गया।

अस्पताल स्टाफ की सतर्कता से टली बड़ी दुर्घटना

घटना के दौरान अस्पताल स्टाफ ने बिना देरी किए उपलब्ध अग्निशमन यंत्रों और पानी का उपयोग कर आग पर नियंत्रण पाया। हालांकि फायर सिस्टम और स्मोक डिटेक्टर इस दौरान काम नहीं कर पाए, फिर भी स्टाफ की सजगता से किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।

मौके पर अधिकारी पहुंचे

सूचना मिलते ही एसपी सिटी ज्ञानेन्द्र कुमार सिंह, सीओ सिटी स्नेहा तिवारी, मुख्य अग्निशमन अधिकारी राजकिशोर राय सहित नवाबाद और कोतवाली पुलिस मौके पर पहुँच गई। सुरक्षा के लिहाज से बच्चा वार्ड को तत्काल सील कर पुलिस तैनात कर दी गई।

अधिकारी बोले

एसपी सिटी ज्ञानेन्द्र कुमार सिंह ने कहा:
“छत पर पड़े तारों में स्पार्किंग से आग लगी थी, जिसे समय रहते बुझा लिया गया। सभी बच्चे सुरक्षित हैं और दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिए गए हैं। घटना की विस्तृत जांच कराई जाएगी।”

डॉ. अरविंद सोनी, प्रभारी अधिकारी, पीडियाट्रिक्स ने बताया:
“आग लगने के दौरान वार्ड में मौजूद सभी 15-16 बच्चों को सुरक्षित तरीके से बाहर निकालकर अन्य वार्ड में भेज दिया गया। किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। घटना के कारणों की जांच जारी है।”

फायर सिस्टम की निष्क्रियता पर सवालझाँसी जिला अस्पताल आग हादसा

गौरतलब है कि जिला अस्पताल में करीब दो वर्ष पूर्व 2 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से फायर सिस्टम लगाया गया था। बावजूद इसके, आग लगने के समय न तो स्मोक डिटेक्टर सक्रिय हुआ और न ही फायर अलार्म। फिर भी स्टाफ ने बिना समय गंवाए आग पर काबू पाकर बड़ी अनहोनी टाल दी।

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