झांसी न्यूज़ – मिश्री लाल के पैरों में है दम, मैदान में युवाओं से नहीं कम

65 वर्ष के मिश्रीलाल देशभर की दौड़ प्रतियोगिताओं में बटोर रहे पदक

झाँसी उम्र सिर्फ बहाना है। जज्बा हो तो यह उम्र किसी काम में बाधक नहीं बनती। खासकर भागदौड़ वाले कामों में सीनियर सिटिजन भी युवाओं को पीछे छोड़ने का दमखम रखते हैं इसकी मिसाल है 65 वर्षीय धावक मिश्रीलाल । उन्होंने अब तक अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सौ से अधिक पदक अपने नाम किए हैं। बढ़ती उम्र के बावजूद उन्होंने हाल ही में अमेठी में हुयी नैशनल वेटरंस ऐथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 5 स्वर्ण पदक जीतकर रिकॉर्ड बनाया । यह पदक उन्हें 100 मीटर सादा दौड़, 110 मीटर बाधा दौड़, डिस्कस थ्रो, 100 गुणा 4 मीटर एवं 400 गुणा 4 मीटर रिले रेस में मिले हैं। झाँसी के ईसाईटोला निवासी मिश्रीलाल रेलवे से सीनियर सेक्शन एंजिनियर पद से रिटायर एक ही दिन जीते 5 स्वर्ण पदकदिखाते मिश्रीलाल ।

उम्र उनकी भले ही 65 वर्ष है, लेकिन जोश और फुर्ती में वह युवाओं को भी मात देते

वर्ष 1973 में हुयी ओपन नैशनल ऐथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पहली बार जिले का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 1980 में नई दिल्ली के नैशनल स्टेडियम में स्वर्ण पदक जीतने के कुछ समय बाद उनकी नौकरी पुलिस में लग गयी, लेकिन वहाँ मन नहीं लगा और जल्दी ही पुलिस सेवा से त्यागपत्र देकर रेलवे जॉइन कर ली। यहाँ भी उनके कदम नहीं थमे और 110 मीटर बाधा दौड़, 200 मीटर, 400 मीटर, 100 मीटर सादा दौड़ तथा लम्बी दौड़ में वह पदक पर पदक बटोरते रहे। वह ग्वालियर में हुयी|

कोचिंग में भी जमाया रंग, दिए कई नामचीन ऐथलीट मिश्रीलाल ने वर्ष 1986 में ध्यानचन्द स्टेडियम में कोचिंग देना प्रारम्भ किया। उसी वर्ष उनके तैयार खिलाड़ियों ने एक ही प्रतियोगिता में 31 मेडल जीतकर रिकॉर्ड बना दिया । मिश्रीलाल से ऐथलेटिक्स के गुर सीखने वाले बहादुर प्रसाद जहाँ एशियाड में पदक जीतने में सफल रहे, वहीं श्रम मन्त्रालय में कार्यरत सुनीता अग्रवाल, छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग में कार्यरत रश्मि औनियाल, पुलिस विभाग में सेवारत रामकुमार, रेलवे में कार्यरत पूरन सिंह ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते।
माधवराव सिन्धिया स्मृति 21 किलोमीटर क्रॉस कण्ट्री रेस में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा पुणे में हुयी अन्तर्राष्ट्रीय मास्टर मीट में सोने का तमगा हासिल कर चुके हैं और थाइलैण्ड के बैंकाक में हुयी मास्टर ऐथलेटिक्स में भी प्रतिभाग कर चुके हैं। वह जमशेदपुर, दिल्ली, गोरखपुर, चेन्नई, विशाखापत्तनम, लखनऊ सहित देश के कई हिस्सों में हुयीं मैराथन दौड़ में 120 से अधिक पदक जीत चुके हैं।

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