झाँसी : रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पछेती गेहूँ बुआई की तैयारी करने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार राय व डॉ. योगेश्वर सिंह ने बताया कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र मैं खरीफ फसलें जैसे धान और मूँगफली के खेत देर से खाली होते हैं
तो ऐसी स्थिति में किसान गेहूँ की बुआई पछेती अवस्था में कर सकते हैं। पछेती गेहूँ बुआई का सबसे उपयुक्त समय 1 से 15 दिसम्बर है। बुआई में देरी होने पर उपज में हानि भी हो सकती है। बुआई से पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लिया जाए। इसके लिए एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई की जाये। पछेती बुआई के लिए बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए एचडी 2932, राज 4238 व एमपी 3336, 1203, 4010 प्रजातियों की बुआई कर सकते हैं। इसके साथ ही बीज बोने से पहले इसके रोगों से बचाव के लिए बीजों को 1 ग्राम टेबुकोनाजोल 2 डीएस प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित अवश्य करें।