June 7, 2025 11:08 am

झाँसी: एसबीआई पर गलत बिलिंग और जानकारी बदलने के लिए लगा जुर्माना

एसबीआई पर जुर्माना
एसबीआई पर जुर्माना
एसबीआई पर जुर्माना

एसबीआई पर लगा जुर्माना: गलत बिलिंग और बदलती जानकारी बनी वजह

झाँसी, उत्तर प्रदेश: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और उसकी सहायक कंपनी एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट्स सर्विस लिमिटेड को उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, झाँसी ने एक महत्वपूर्ण फैसले में गलत बकाया भुगतान मांगने और ग्राहक की जानकारी में अनाधिकृत बदलाव करने के लिए दोषी ठहराया है। आयोग ने बैंक द्वारा मांगे गए ₹1,00,245 की धनराशि को रद्द कर दिया है और ₹5,000 का हर्जाना भी लगाया है।

क्रेडिट कार्ड विवाद बना मुसीबत

यह मामला झाँसी निवासी छवि उपाध्याय द्वारा दायर शिकायत से जुड़ा है। उपाध्याय ने आरोप लगाया था कि उन्हें एसबीआई की मेडिकल कॉलेज शाखा द्वारा क्रेडिट कार्ड लेने के लिए बाध्य किया गया था। उन्होंने अपनी सभी खरीदारी का भुगतान समय पर कर दिया था, जिसके बाद उनका क्रेडिट कार्ड ब्लॉक कर दिया गया।

8 सितंबर, 2023 को बैंक प्रतिनिधियों ने उनसे संपर्क किया और ₹93,658 की बकाया राशि का भुगतान करने को कहा। चौंकाने वाली बात यह थी कि उन्हें क्रेडिट कार्ड का स्टेटमेंट नहीं दिया गया और उनके मोबाइल फोन पर कोई ओटीपी भी प्राप्त नहीं हुआ।

मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी में बदलाव: एक गंभीर आरोप

छवि उपाध्याय ने यह भी आरोप लगाया कि बैंक ने उनके मोबाइल फोन नंबर और ईमेल आईडी को बदल दिया था, जिससे उन्हें अपने ट्रांजेक्शन की जानकारी नहीं मिल पा रही थी। बकाया राशि दिखाए जाने के कारण उनकी सामाजिक छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा। बाद में, कंपनी की ओर से उन्हें ₹1,00,245 की मांग का नोटिस जारी किया गया, जिसके बाद उन्होंने साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और उपभोक्ता न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

उपभोक्ता आयोग का सख्त फैसला

छवि उपाध्याय की ओर से गणेश कुमार खरे ने इस मामले की पैरवी की। न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष अमर पाल सिंह और सदस्यों ज्योति प्रभा जैन व देवेश अग्निहोत्री ने सभी साक्ष्यों पर विचार करते हुए एसबीआई मेडिकल कॉलेज ब्रांच के प्रबंधक और एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट्स सर्विस लिमिटेड (गुड़गांव) द्वारा मांगी गई ₹1,00,245 की धनराशि को ब्याज सहित निरस्त करने का आदेश दिया। साथ ही, उपभोक्ता को मानसिक कष्ट और मुकदमेबाजी में हुए खर्च के लिए ₹5,000 का हर्जाना देने का भी निर्देश दिया।

यह फैसला बैंकों और क्रेडिट कार्ड कंपनियों के लिए एक चेतावनी है कि वे ग्राहकों के साथ पारदर्शिता बनाए रखें और उनकी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

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