“ऑटोमेटिक ड्राइविंग लाइसेंस प्रणाली की शुरुआत, नए तकनीकी ट्रैक से होगा टेस्ट”
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ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक की विशेषताएँ:
- ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में एक नया ऑटोमेटिक टेस्टिंग ट्रैक बनाया जाएगा, जिसमें सेंसर और सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे। यह तकनीकी ट्रैक आवेदकों को आसानी से और पारदर्शी तरीके से ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में मदद करेगा।
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कैसे काम करेगा नया सिस्टम?
- आवेदक को स्क्रीन पर गाड़ी दौड़ाने के लिए स्टीयरिंग और ब्रेक दिए जाएंगे। सेंसर और सीसीटीवी कैमरे गाड़ी चलाने की तकनीक को रिकॉर्ड करेंगे और तुरंत रिपोर्ट तैयार करेंगे।
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कंप्यूटर आधारित रिपोर्टिंग और रिजेक्शन प्रक्रिया:
- अगर आवेदक टेस्ट में फेल होता है, तो उसकी रिपोर्ट तुरन्त परिवहन विभाग के सारथी पोर्टल पर अपलोड कर दी जाएगी, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
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यहां से शुरू होगी नई व्यवस्था:
- सरकार ने ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट को प्राइवेट हाथों में सौंपा है और 31 मार्च तक नई व्यवस्था को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। यदि काम समय पर पूरा हुआ, तो 1 अप्रैल से यह प्रणाली लागू हो जाएगी।
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आगे क्या होगा?
- नई प्रणाली के लागू होने से आवेदकों को पारदर्शी और बिना किसी विवाद के ड्राइविंग लाइसेंस मिलेगा, जिससे आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति समाप्त हो जाएगी।
Conclusion:
ऑटोमेटिक ड्राइविंग लाइसेंस सिस्टम से अब ड्राइविंग टेस्ट पारदर्शी और आसान होगा। आवेदकों को गाड़ी चलाने के लिए कोई भ्रामक प्रक्रिया का सामना नहीं करना पड़ेगा और तुरंत उनके टेस्ट की रिपोर्ट कंप्यूटर द्वारा तैयार हो जाएगी। 1 अप्रैल से यह प्रणाली लागू हो सकती है, जो पूरी प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाएगी।