DGMO कौन होता है? जानें भारत-पाक सीजफायर में इनकी भूमिका

DGMO कौन होता है

DGMO कौन होता है? जानिए भारत-पाकिस्तान सीजफायर में इनकी अहम भूमिका और सैलरी

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार को एक बार फिर से सीमा पर संघर्षविराम (Ceasefire) का एलान हुआ। इस एलान से पहले दोनों देशों के DGMO (Director General Military Operations) के बीच अहम बातचीत हुई। इस बातचीत में सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति बनी।

DGMO का पद क्या होता है?

DGMO यानी डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण पद है। यह एक तीन-सितारा (3-Star) रैंक वाला लेफ्टिनेंट जनरल अधिकारी होता है जो सेना के सभी सैन्य अभियानों की योजना और निगरानी करता है। DGMO का सीधा संपर्क आर्मी चीफ (थल सेनाध्यक्ष) से होता है।

DGMO कौन होता है
DGMO कौन होता है

वर्तमान में भारत के DGMO कौन हैं?

वर्तमान में लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई भारत के DGMO हैं। उन्होंने अक्टूबर 2024 में यह जिम्मेदारी संभाली थी। इससे पहले वह चिनार कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) थे, जो जम्मू-कश्मीर क्षेत्र की सुरक्षा का नेतृत्व करता है।

सीजफायर में DGMO की भूमिका

भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच सीधी बातचीत के बाद ही संघर्षविराम जैसे फैसले लिए जाते हैं। इस बार भी बातचीत के बाद सीमा पर शांति बनाए रखने का फैसला हुआ है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी दी है कि दोनों देशों के DGMO फिर से 12 मई को बैठक करेंगे।

DGMO की सैलरी कितनी होती है?

DGMO एक लेफ्टिनेंट जनरल होते हैं, जिनकी सैलरी 2,25,000 रुपये प्रतिमाह (Level 17 Pay Matrix) के आसपास होती है। इसके साथ ही उन्हें सरकारी आवास, वाहन और अन्य सैन्य सुविधाएं भी मिलती हैं।

निष्कर्ष

DGMO भारतीय सेना का वह प्रमुख अधिकारी होता है जो सैन्य ऑपरेशनों की रणनीति और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होता है। भारत-पाकिस्तान के बीच जब भी सीमा पर तनाव की स्थिति बनती है, DGMO की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। हालिया सीजफायर इसका ताजा उदाहरण है।

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