आप हमेशा से यह सुनते आ रहे होंगे, कि ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है, लेकिन क्या आप इनकी ऐसी प्रजाति के बारे में जानते हैं, जो पानी में तैर सकते हैं? जी हां, सही पढ़ा आपने। आज हम आपको ऊंटों की इसी प्रजाति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे ‘खराई’ कहा जाता है। ये भारत में किस जगह पाए जाते हैं, और क्या है इनकी खासियत… जानने के लिए पढ़िए हमारा यह आर्टिकल।
भोजन की तलाश में पार करते हैं समुद्र
गुजरात के कच्छ में ऊंटों की ‘खाराई’ नस्ल काफी प्रसिद्ध है। इनकी खास बात है कि ये रेगिस्तान नहीं, बल्कि गहरे पानी में जाकर अपना भोजन ढूंढने की काबीलियत रखते हैं। इनका मुख्य भोजन चेर नामक पौधा है, जिसे पाने के लिए ये समुद्र भी पार कर गुजरते हैं। बता दें, कि ऊंट की इस प्रजाति को राष्ट्रीय मान्यता भी मिल चुकी है।
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इस इलाके में पाई जाती है यह नस्ल
कच्छ के तटीय गांवों ऊंट की यह नस्ल पाई जाती है। ये समुद्र में मौजूद वनस्पतियों को खाते हैं, और बिना किसी इंसानी मदद के गहरे पानी में 3 किलोमीटर दूर तक का सफर भी आराम से तय कर लेते हैं। कच्छ में पाई जाने वाली ऊंट की यह खाराई प्रजाति वोंध, सूरजबाड़ी, अंबलियारा, जंगी तक समुद्री खाड़ी क्षेत्र में देखे जाते हैं।
घट रही है इनकी संख्या
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012 में ऊंटों की इस प्रजाति की संख्या 4,000 थी जो अब घटकर 2,000 से कम बची है। इसके पीछे का कारण उस चेर वनस्पति की कटाई को माना जाता है, जो ऊंटों का पसंदीदा भोजन है। हालांकि, इनकी देखभाल और बचाव के लिए स्थानीय लोगों से लेकर वन विभाग और कुछ संस्थाएं भी लगातार काम कर रही हैं।
ऊंटनी के दूध की भी है काफी डिमांड
यहां के इलाकों में ऊंटनी के दूध का भी खूब इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मदद से कई खाद्य उत्पाद तैयार किए जाते हैं, और सेहत के लिहाज से भी इनका सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है। यही वजह है, कि स्थानीय लोगों से लेकर आसपास के इलाकों में भी इस ऊंट के दूध की काफी मांग है। लोगों में धारणा है कि इसे पीने से मिर्गी, डायबिटीज और यहां तक की कैंसर जैसी बीमारी से भी बचा जा सकता है।