
इंस्टाग्राम गेमिंग: प्यार, धोखा और एक नाबालिग की दर्दनाक कहानी
आज के दौर में मोबाइल फोन जहां कनेक्टिविटी और सुरक्षा का माध्यम हैं, वहीं कुछ मामलों में ये बच्चों को अंधेरे रास्ते पर भी धकेल रहे हैं. झाँसी में सामने आया एक ऐसा ही हृदयविदारक मामला, जहां एक नाबालिग लड़की को इंस्टाग्राम पर हुई दोस्ती भारी पड़ गई. प्यार के जाल में फँसकर वह घर से भागी, शादी की, गर्भवती हुई और फिर प्रेमी व अपने परिवार दोनों ने उसे ठुकरा दिया.
गेमिंग से हुई दोस्ती, प्यार में बदली
पश्चिमी बंगाल के जलपाईगुड़ी की रहने वाली लगभग 15 वर्षीय एक लड़की इंस्टाग्राम पर ‘फ्री फायर’ गेम खेल रही थी. इसी दौरान उसकी दोस्ती उत्तर प्रदेश के लखीमपुर के एक 16 वर्षीय लड़के से हुई. धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई. फरवरी 2025 में, लड़की अपने प्रेमी के बहकावे में आकर अपनी पांच बहनों, दो भाइयों और माता-पिता को छोड़कर ट्रेन व बस से लखीमपुर पहुंच गई. आश्चर्य की बात यह थी कि उन्होंने एक-दूसरे को कभी देखा भी नहीं था.
शादी, गर्भावस्था और फिर उत्पीड़न
लड़का कुछ दिनों तक लड़की को यहां-वहां घुमाता रहा और फिर उसे हरियाणा ले गया. वहां लड़का लोहे की फैक्ट्री में काम करने लगा. वहीं, एक किराए के कमरे में उसने लड़की की मांग में सिंदूर भरकर और माला पहनाकर शादी कर ली. कुछ समय बाद जब लड़का-लड़की लखीमपुर लौटे, तो लड़के के परिजनों को पता चला कि लड़की गर्भवती है. यह जानकर लड़के ने गर्भ में पल रहे बच्चे को अपना मानने से इनकार कर दिया और लड़की के साथ मारपीट करने लगा. वह शराब पीकर आता और रोज़ पिटाई करता.
अकेली छोड़ी गई, अब क्या?
24 मई को लड़के के भाई और भाभी ने लड़की को यह कहकर ट्रेन में बिठा दिया कि अगले स्टेशन पर लड़का तुम्हें मिलेगा. लेकिन अगले स्टेशन पर लड़का नहीं आया. लड़की ने उसे, उसके मामा, भाई और भाभी को फोन किया, लेकिन सभी के फोन बंद मिले. लखनऊ पहुंचने पर उसने लड़के के दोस्त से संपर्क किया, जिसने उसे झाँसी पहुंचने की सलाह दी.
झाँसी आकर लड़की ने जीआरपी थाने में अपनी आपबीती सुनाई. पुलिस ने ‘चाइल्ड लाइन’ प्रभारी बिलाल के माध्यम से उसे ‘वन स्टॉप सेंटर’ भेजा, जहां से उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया. समिति के अध्यक्ष राजीव शर्मा, सदस्य कोमल सिंह, परवीन खान, हरिकृष्ण सक्सेना, दीप्ति सक्सेना और कार्यालय प्रभारी साजिद खान ने लड़की की काउंसलिंग की और उसे ‘वन स्टॉप सेंटर’ में भर्ती कराया है.
यह घटना हमें याद दिलाती है कि ऑनलाइन दुनिया में बच्चों की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है और अभिभावकों को अपने बच्चों की मोबाइल गतिविधियों पर नज़र रखना कितना ज़रूरी है.
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