
प्रोफेसर डॉ. बृजेन्द्र बौद्ध अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित
झाँसी: बुन्देलखण्ड महाविद्यालय की प्रबन्ध समिति ने प्रोफेसर डॉ. बृजेन्द्र बौद्ध को अनुशासनहीनता और उदण्डता के आरोपों के चलते निलंबित कर दिया है। महाविद्यालय के प्रबन्धक मनोहर लाल वाजपेयी ने यह कार्रवाई तब की, जब प्रोफेसर बौद्ध प्रारंभिक जाँच समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हुए और न ही उन्होंने भेजे गए मेल और पत्रों का कोई जवाब दिया।
निलंबन का कारण और प्रबन्धक का निर्णय
प्रबन्धक मनोहर लाल वाजपेयी के अनुसार, प्रोफेसर बौद्ध को जाँच समिति के सामने पेश न होने और पत्राचार का जवाब न देने के कारण निलंबित किया गया है। प्रारंभिक जाँच समिति की रिपोर्ट के आधार पर प्रबन्धक ने निलंबन का निर्णय लिया।
प्रोफेसर बौद्ध का आरोप
निलंबित प्रोफेसर डॉ. बृजेन्द्र बौद्ध ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि वे अनुसूचित जाति के प्रोफेसर हैं, जिसके कारण प्रबन्धक ने विधि विरुद्ध निलंबन आदेश जारी किया है। उन्होंने जाँच आख्या उपलब्ध न कराने की भी शिकायत की है।
विस्तृत जाँच के लिए समिति गठित
प्रारंभिक जाँच के बाद, पूरे मामले की विस्तृत जाँच के लिए एक नई समिति का गठन किया गया है। इस समिति में गाँधी स्मारक त्रिवेणी स्नातकोत्तर महाविद्यालय वरदह आजमगढ़ के प्रोफेसर विजय कुमार राय को संयोजक बनाया गया है। श्री कृष्ण गीता राष्ट्रीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लालगंज आजमगढ़ के प्राचार्य प्रोफेसर ऋषिकेश सिंह और केजीके स्नातकोत्तर महाविद्यालय मुरादाबाद के विधि विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजकुमार सोनकर को समिति में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
शिक्षकों का विरोध
बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटि एससीएसटी टीचर्स वेलफेयर असोसियेशन ने प्रोफेसर बृजेन्द्र कुमार बौद्ध के निलंबन आदेश की निंदा की है। एसोसिएशन की बैठक में कहा गया कि प्रबन्धक मनोहर लाल वाजपेयी के पास निलंबन करने का अधिकार नहीं है। साथ ही, जाँच समिति के संयोजक और सदस्यों की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए गए। बैठक में प्रो. दिनेश कुमार गौतम, अश्वनी कुमार, प्रो. प्रवीण कुमार, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रो. ज्योति वर्मा आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे।
गुटबाजी का प्रभाव
कॉलेज के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि यह निलंबन आदेश बुन्देलखण्ड महाविद्यालय में शिक्षकों के बीच चल रही गुटबाजी का परिणाम है। प्रबन्ध समिति की सदस्यता को लेकर पूर्व प्राचार्य और प्रबन्ध समिति के पदाधिकारियों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस विवाद का असर शिक्षकों के बीच भी दिखाई दे रहा है, जहाँ प्राचार्य और पूर्व प्राचार्य के समर्थक आमने-सामने हैं। प्रबन्धक की रिक्त सीट पर हुए निर्वाचन के दौरान यह विवाद और गहरा गया था। माना जा रहा है कि इस स्थिति का महाविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
प्रारंभिक जाँच प्रक्रिया
अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर बृजेन्द्र सिंह बौद्ध पर शिक्षक आचार संहिता के विपरीत अनुशासनहीनता करने का आरोप है। बीकेडी प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष डॉ. केशभान पटेल और प्राचार्य प्रो. एसके राय के पत्र पर प्रबन्ध समिति की बैठक में 23 जनवरी 2025 को एक प्रारंभिक जाँच समिति गठित की गई थी। समिति ने आरोप पत्र तैयार कर प्रोफेसर को भेजा, जिसके जवाब में उन्होंने 15 फरवरी 2025 को कॉलेज की ईमेल पर स्पष्टीकरण दिया। इस स्पष्टीकरण में प्रोफेसर ने जाँच समिति और प्रबन्ध समिति पर भी सवाल उठाए थे। प्रबन्धक ने अपने आदेश में कहा कि प्रबन्धतन्त्र के अस्तित्व को बार-बार चुनौती देना घोर अनुशासनहीनता है और इससे विद्यालय के शैक्षणिक वातावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।
निष्कर्ष
बुन्देलखण्ड महाविद्यालय में प्रोफेसर डॉ. बृजेन्द्र बौद्ध का निलंबन एक गंभीर मुद्दा बन गया है, जिसमें अनुशासनहीनता के आरोप और दलित होने के कारण भेदभाव के आरोप शामिल हैं। विस्तृत जाँच समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले की सच्चाई सामने आ पाएगी। इस घटना ने महाविद्यालय के शैक्षणिक माहौल और शिक्षकों के बीच चल रहे गुटीय संघर्ष को भी उजागर किया है।
अधिक ताजा खबरों के लिए पढ़ें newspadhlo.com