
सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में अनुच्छेद 142 के तहत सजा माफ की
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक अनोखा और भावनात्मक फैसला सुनाते हुए नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी की सजा माफ कर दी है। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का उपयोग करके लिया गया, जिससे कोर्ट न्याय के हित में कानूनी प्रक्रिया से इतर निर्णय ले सकता है।
यह मामला पश्चिम बंगाल का है, जहां 14 वर्ष की एक किशोरी अपने से 11 वर्ष बड़े युवक के साथ भाग गई थी। निचली अदालत ने युवक को पॉक्सो कानून के तहत 20 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, बाद में किशोरी ने कोर्ट में बताया कि वह युवक से प्रेम करती थी, उसने स्वेच्छा से विवाह किया और अब उनके एक बच्ची भी है।
किशोरी ने पति को जेल से बाहर लाने के लिए कानूनी लड़ाई में लाखों रुपये खर्च किए और छोटे बच्चे के साथ दर-दर भटकती रही। पीड़िता की इस पीड़ा और संघर्ष को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अब और अन्याय नहीं होना चाहिए।
कोर्ट ने साफ किया कि यह फैसला किसी भी आने वाले मामले की नजीर नहीं बनेगा। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह आदेश दिया।
हाई कोर्ट की उस टिप्पणी, जिसमें कहा गया था कि “लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए”, को भी सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया और सख्त आपत्ति जताई।
यह मामला “Right to Privacy of Adolescent” शीर्षक से स्वतः संज्ञान में लिया गया था और कोर्ट ने मानवता व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह ऐतिहासिक निर्णय सुनाया।
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