
अक्सर यह कहा जाता है कि “तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा”। यह कहावत आमतौर पर किसी काम में तीन लोगों के शामिल होने पर होने वाली गड़बड़ी को दर्शाती है। लेकिन क्या दोस्ती में भी तिकड़ी का यही हाल होता है? खासकर जब घूमने-फिरने की बात आती है, तो अक्सर देखा जाता है कि तीन दोस्तों के समूह में राय अलग-अलग होती है। जैसे, दो दोस्त गोवा की ट्रिप पर जाना चाहते हैं, जबकि तीसरा पहाड़ों की सैर करना चाहता है।
यह सच है कि दोस्ती में दोस्तों की संख्या बढ़ने पर खुशियाँ भी बढ़नी चाहिए, लेकिन तीन दोस्तों की कहानी अक्सर थोड़ी अलग होती है। कई लोग मानते हैं कि तीन दोस्तों के समूह में हमेशा कुछ न कुछ समस्याएँ आती ही हैं। इस तिकड़ी में अक्सर एक दोस्त उपेक्षित महसूस करता है या संतुलन बिगड़ जाता है। तो, क्या वाकई दोस्ती की तिकड़ी उतनी सफल नहीं होती? आइए जानते हैं इस बात की सच्चाई और इसे बेहतर बनाने के तरीके:
तीन दोस्तों के समूह को कैसे करें मैनेज?
तीन दोस्तों के समूह में सबसे आम समस्या यह है कि अक्सर एक दोस्त को ऐसा महसूस होता है कि उसे समूह से अलग कर दिया गया है। वह असुरक्षित महसूस कर सकता है क्योंकि समूह में दो दोस्त ऐसे होते हैं जिनकी आपस में गहरी दोस्ती होती है, वे एक-दूसरे के साथ आसानी से jokes साझा करते हैं या उनकी रुचियां समान होती हैं। ऐसे में तीसरे दोस्त को अकेलापन महसूस हो सकता है।
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इस असंतुलन को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे पहचाना जाए और तीसरे दोस्त को भी समूह में पूरी तरह से शामिल करने की कोशिश की जाए। तीनों के बीच समान बातचीत हो, तीनों साथ में jokes सुनें और हँसें। इसमें तीनों की बराबर की भागीदारी जरूरी है।
अगर आप भी हैं तिकड़ी के ‘बोनस फ्रेंड’:
कई बार ऐसा होता है कि तीन दोस्तों के समूह में एक दोस्त ‘बोनस फ्रेंड’ की तरह महसूस करता है। उसे अक्सर उन योजनाओं में आखिरी मिनट में शामिल किया जाता है जो बाकी दो दोस्त पहले ही बना चुके होते हैं। यदि आपको लगता है कि आप इस समूह के प्रति जितनी ईमानदारी दिखा रहे हैं, उतनी आपको वापस नहीं मिल रही है, तो संभवतः आप उस समूह के बोनस फ्रेंड हैं। एक स्वस्थ दोस्ती में आपकी राय उतनी ही महत्वपूर्ण होनी चाहिए जितनी बाकी दो दोस्तों की।
किसी एक पर होता है ज्यादा भावनात्मक दबाव:
कुछ मामलों में, तीन दोस्तों के समूह में किसी एक दोस्त पर भावनात्मक दबाव अधिक होता है। उसे लगातार दो दोस्तों के बीच के झगड़ों को सुलझाना पड़ता है, दोनों को सहारा देना होता है और यह ध्यान रखना होता है कि वह किसी एक का पक्ष न ले। इस तरह की स्थिति बार-बार उत्पन्न होने से वह दोस्त अधिक दबाव और थका हुआ महसूस करता है।
तिकड़ी कैसे बेहतर काम कर सकती है:
- खुलकर बातचीत करें: कभी भी पीठ पीछे किसी एक दोस्त के बारे में नकारात्मक बातें न करें।
- फैसले लेने में सबको शामिल करें: चाहे कोई यात्रा हो या कोई अन्य गतिविधि, सभी की राय को महत्व दें।
- सही चुनाव करें: यदि दो लोग पहले से ही बहुत अच्छे दोस्त हैं, तो सिर्फ इसलिए किसी तीसरे को शामिल न करें क्योंकि वह उनमें से किसी एक का अच्छा दोस्त है। ऐसी तिकड़ी अक्सर सफल नहीं होती।
- एक-दूसरे के लिए समय निकालें: चाहे वह पारिवारिक रात्रिभोज हो या फिल्म देखने की योजना, तीनों को एक-दूसरे के लिए समय निकालना चाहिए।
- बाहरी दोस्त भी बनाएं: लंबे समय तक तिकड़ी को बनाए रखने के लिए, इस समूह के बाहर भी दोस्त बनाएं। इससे आप तीनों की दोस्ती और गहरी होगी।
- अपनी आवाज सुनें: यदि तीन के समूह में आपकी बातों का कोई महत्व नहीं है या आपको कुछ भी बोलने से पहले अपने शब्दों को तौलना पड़ता है, तो यह सोचने का समय है कि क्या आप सही समूह में हैं।
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