झांसी: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। बंगराधवा के ग्रामीणों ने नहर की दिशा में बदलाव करने का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी अविनाश कुमार को शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि नए सर्वे में नहर को अधिक आबादी वाले क्षेत्र से निकाला जा रहा है, जिससे लोगों को भारी नुकसान होगा।
ग्रामीणों का आरोप:
ग्रामीणों का कहना है कि पहले तैयार किए गए नक्शे में नहर की राह तय कर ली गई थी और गाटा संख्या भी निर्धारित कर दी गई थी। लेकिन, कुछ लोगों के प्रभाव में आकर नहर की दिशा बदल दी गई है।
- नए सर्वे के अनुसार:
- पहाड़ों की कटाई करनी होगी।
- जंगलों को अधिक नुकसान होगा।
- नहर के मार्ग में अधिक आबादी वाले क्षेत्र आ रहे हैं।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को बताया कि इस बदलाव से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि अधिक लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ेगा।
शिकायत दर्ज करने वाले ग्रामीण:
शिकायत दर्ज कराने वाले ग्रामीणों में मदन लाल, अहिल्या देवी, रामरतन गुप्ता, राम प्यारी कुशवाहा, दिनेश कुशवाहा, दीपक कुशवाहा, कृष्ण कुमार, नारायण दास, और शिवदयाल शामिल थे।
परियोजना अधिकारी की प्रतिक्रिया:
केन-बेतवा लिंक परियोजना के एसीईओ देवेश शुक्ला ने कहा,
“परियोजना में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कम से कम आबादी प्रभावित हो। नए प्रोजेक्ट के लिए सर्वे में कुछ बदलाव संभव हैं, लेकिन इसे अंतिम मंजूरी नई दिल्ली से ही मिलेगी। यदि ग्रामीणों की शिकायतें हैं, तो उन पर ध्यान दिया जाएगा।”
क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना?
केन-बेतवा लिंक परियोजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य केन और बेतवा नदियों को जोड़कर सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
ग्रामीणों की मांग:
ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि सर्वे इस तरह किया जाए कि नहर के मार्ग में कम से कम आबादी प्रभावित हो और पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचे।