विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ने वृंदावन में संत प्रेमानंद से लिया आशीर्वाद
वृंदावन: भारतीय क्रिकेट स्टार विराट कोहली और बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने शुक्रवार की सुबह वृंदावन स्थित संत प्रेमानंद महराज के दरबार में पहुंचकर उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान संत प्रेमानंद ने दोनों की साधना की सराहना करते हुए विराट कोहली को क्रिकेट के क्षेत्र में और ऊंचाइयों तक पहुंचने का आशीर्वाद दिया, जबकि अनुष्का शर्मा ने धर्म की राह पर चलने का आशीर्वाद मांगा।
संत प्रेमानंद ने विराट की क्रिकेट साधना की प्रशंसा की
संत प्रेमानंद ने विराट कोहली की साधना की सराहना करते हुए कहा कि वह अपनी मेहनत और साधना के कारण ही क्रिकेट के मैदान पर शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं, जो देशवासियों को खुशी देता है। उन्होंने कहा, “विराट को भगवान ने क्रिकेट के लिए चुना है, जबकि हमें धर्म की साधना के लिए चुना गया है।”
संत प्रेमानंद ने कहा, “विराट की साधना का ही परिणाम है भारत की जीत
विराट और अनुष्का शर्मा दोनों ही संत प्रेमानंद के आश्रम में पहुंचे, जहां उन्होंने राधा केलिकुंज आश्रम में दर्शन किए। संत प्रेमानंद ने कहा कि विराट की सफलता उनके कड़ी साधना का परिणाम है। जब विराट अपनी साधना से भारत को जीत दिलाते हैं, तो पूरा देश खुशी से झूम उठता है। संत ने यह भी कहा कि विराट और अनुष्का दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में कड़ी साधना के बाद इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
अनुष्का शर्मा ने धर्म की राह पर चलने का आशीर्वाद मांगा
अनुष्का शर्मा ने भी संत प्रेमानंद से प्रार्थना करते हुए कहा कि वह अपने जीवन में प्रेम भक्ति के मार्ग पर चलना चाहती हैं। संत प्रेमानंद ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि जब किसी का मन धर्म और भक्ति के प्रति श्रद्धा से भर जाता है, तो जीवन की राह आसान हो जाती है और वह विराट को भी भक्ति के मार्ग पर ले आएंगी।
विराट और अनुष्का ने अपने बच्चों के साथ प्रेमानंद से मुलाकात की
इस विशेष अवसर पर संत प्रेमानंद ने विराट कोहली और अनुष्का शर्मा को चुनरी प्रसाद भी भेंट किया। साथ ही उन्होंने दोनों की बेटियों को श्रीजी की चुनरी प्रसाद में भेंट की।
संत प्रेमानंद का संदेश: संत प्रेमानंद ने भारतीय क्रिकेट टीम के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि टीम में सभी खिलाड़ी कड़ी मेहनत और साधना करते हैं, लेकिन हार-जीत प्रारब्ध का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें कभी हार पर निराश नहीं होना चाहिए और न ही जीत पर अहंकार करना चाहिए। साधना हमेशा जारी रहनी चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो।