चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) को आधार कार्ड से जोड़ने का बड़ा फैसला लिया है। यह प्रक्रिया मौजूदा कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुरूप की जाएगी। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मंगलवार को चुनाव आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) और अन्य संबंधित विभागों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की।
जल्द शुरू होगी तकनीकी प्रक्रिया
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि चुनाव आयोग और UIDAI के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच जल्द ही परामर्श प्रक्रिया शुरू होगी। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि यह कदम मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए उठाया जा रहा है।
आधार केवल पहचान स्थापित करता है
चुनाव आयोग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को दिया जाता है। हालांकि, आधार केवल व्यक्ति की पहचान को प्रमाणित करता है। इसलिए, इस प्रक्रिया में सभी कानूनी और संवैधानिक पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप होगा कार्य
चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले के तहत ही वोटर आईडी-आधार लिंकिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। UIDAI और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ मिलकर इस प्रणाली को सुरक्षित और प्रभावी बनाने पर काम करेंगे।
केंद्र सरकार की अहम बैठक
इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, विधायी सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MEITY) के सचिव और UIDAI के CEO ने भाग लिया। सभी ने मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की संभावनाओं और तकनीकी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।
क्या होगा इस फैसले का असर?
- फर्जी मतदाता नाम हटाने में मदद मिलेगी।
- डुप्लीकेट वोटर आईडी की समस्या समाप्त होगी।
- मतदाता सूची अधिक पारदर्शी और शुद्ध होगी।
- चुनाव प्रक्रिया में धांधली रोकने में सहायता मिलेगी।
चुनाव आयोग ने जनता से अपील की है कि इस प्रक्रिया से संबंधित अफवाहों पर ध्यान न दें और सिर्फ आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें।