किशोरों पर सोशल मीडिया का प्रभाव
आज का युवा वर्ग, खासकर किशोर, सोशल मीडिया की दुनिया में इस कदर डूब चुके हैं कि उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। ‘लाइक’ और ‘फॉलो’ की दौड़ में उनका बचपन कहीं पीछे छूटता जा रहा है। भारत समेत दुनिया भर में पैरेंट्स इस बदलाव से चिंतित हैं।
ग्रेटर कैलाश निवासी सुमित नंदा बताते हैं कि उनका बेटा रोहित इंस्टाग्राम पर हर समय एक्टिव रहता है। हर नोटिफिकेशन पर प्रतिक्रिया देना, फोटो पर लाइक गिनना उसकी दिनचर्या बन चुकी है।
वेब सीरीज से झलकती हकीकत
नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज ‘एडोलसेंस’ इस मुद्दे को बखूबी उजागर करती है। यह बताती है कि कैसे इंटरनेट मीडिया किशोरों के जीवन में असुरक्षा, साइबर बुलिंग, और मानसिक बीमारियों जैसे डिप्रेशन व एंग्जायटी को जन्म देता है।
टीनएज में बदलता व्यवहार: खामोश संकेत
WHO के अनुसार 10 से 19 साल की उम्र को किशोरावस्था माना जाता है। इस उम्र में होने वाले मानसिक और शारीरिक बदलावों के चलते बच्चे गुस्से, अकेलेपन और चुप्पी का शिकार हो सकते हैं। कई बार वे टॉक्सिक मस्कुलिनिटी और ‘अल्फा मेल’ बनने की होड़ में अपराध की ओर भी बढ़ जाते हैं।
अगर बच्चे अचानक गुस्से में आ जाएं, किसी सहपाठी से हिंसक व्यवहार करें या उनके शरीर पर चोट के निशान दिखें — तो यह खतरे की घंटी हो सकती है।
क्या करेगा Teen Safe अकाउंट?
Meta द्वारा लॉन्च किया गया Teen Safe इंस्टाग्राम अकाउंट विशेष रूप से किशोरों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसके प्रमुख फीचर्स:
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अनजान लोगों से संपर्क नहीं हो पाएगा।
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माता-पिता को बच्चे के अकाउंट की एक्टिविटीज देखने की सुविधा।
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रात 10 बजे से सुबह 7 बजे तक स्लीप मोड ऑन, जिससे नोटिफिकेशन और चैट बंद रहेंगे।
अन्य देशों के उदाहरण
ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लागू कर दिया है। कई अन्य देश भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। भारत में यह प्रयास बच्चों को डिजिटल दुनिया के दुष्प्रभावों से बचाने की एक अहम कोशिश हो सकती है।
पैरेंट्स का रोल सबसे अहम
बच्चों को पूरी तरह स्मार्टफोन से दूर करना संभव नहीं, लेकिन उनके साथ संवाद बनाए रखना ज़रूरी है। हर बात पर डांटना या टोकना उन्हें आपसे दूर कर सकता है। उन्हें समझाएं कि टेक्नोलॉजी से संतुलन बनाकर वे अपने लक्ष्यों को बेहतर ढंग से पा सकते हैं।
निष्कर्ष:
Meta का Teen Safe इंस्टाग्राम अकाउंट एक सराहनीय कदम है, लेकिन इसका असली असर तभी दिखेगा जब पैरेंट्स, स्कूल और समाज मिलकर बच्चों के डिजिटल व्यवहार को समझें और उन्हें सही मार्गदर्शन दें।