गर्मी ने बढ़ाई बिजली की खपत, अप्रैल में टूट सकता है रिकॉर्ड
देश के अधिकतर राज्यों में अप्रत्याशित गर्मी के चलते बिजली की मांग अप्रैल 2025 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है। बिजली मंत्रालय के अनुसार, इस बार मांग 2.70 लाख मेगावाट तक जा सकती है, जो पिछले साल मई में दर्ज की गई 2.50 लाख मेगावाट की अधिकतम मांग से कहीं ज्यादा है।
मार्च में ही दिखा था मांग का संकेत
मार्च 2025 में बिजली की अधिकतम मांग 2.35 लाख मेगावाट रही, जो मार्च 2024 के मुकाबले 6.9% ज्यादा थी। मौसम विभाग ने बताया है कि इस बार अप्रैल में भी पिछले 30 वर्षों के औसत से ज्यादा गर्मी पड़ेगी।
गुजरात जैसे राज्यों में 10% तक बढ़ी डिमांड
जिन राज्यों में हीटवेव (लू) ज्यादा रही है, वहां बिजली की खपत में और तेज़ी देखी गई है। उदाहरण के तौर पर, गुजरात में बिजली की मांग 10% तक बढ़ गई। अप्रैल में देश के कई हिस्सों में 10 से 11 दिनों तक लू चलने की संभावना जताई गई है, जबकि मार्च में औसतन केवल 5 दिन ही लू चली थी।
कोयला स्टॉक और उत्पादन स्थिति संतुलित
ताप विद्युत संयंत्रों के पास कोयले का पर्याप्त भंडार मौजूद है। 31 मार्च 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, इन प्लांट्स के पास औसतन 20 दिनों का कोयला मौजूद है। फरवरी में यह 19 दिन और पिछले साल मार्च में 18 दिन था। यही वजह रही कि मार्च 2025 में बिजली उत्पादन में 8% की वृद्धि देखी गई।
रिन्यूएबल एनर्जी का बढ़ता योगदान
देश में सौर और पवन ऊर्जा का योगदान भी लगातार बढ़ रहा है। मार्च 2025 तक सोलर एनर्जी की स्थापित क्षमता 29.13% बढ़कर 1.05 लाख मेगावाट और विंड एनर्जी की क्षमता 9% बढ़कर 50 हजार मेगावाट के पार पहुंच गई है। इससे ताप बिजली संयंत्रों पर दबाव कुछ हद तक कम होगा।
निष्कर्ष:
भीषण गर्मी और औद्योगिक गतिविधियों की वजह से अप्रैल 2025 में देश में बिजली की मांग चरम पर रह सकती है। हालांकि, ऊर्जा मंत्रालय और बिजली संयंत्रों की तैयारी को देखते हुए किसी बड़ी समस्या की आशंका नहीं है।