गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी ने शुरू की नालों की सफाई की अनोखी पहल

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में नालों के गंदे पानी को प्राकृतिक विधि से साफ करने की एक नई पहल की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य न केवल राप्ती नदी को साफ करना है, बल्कि इस प्रक्रिया से करोड़ों रुपये भी बचाए जाएंगे। तकियाघाट पर इस प्रक्रिया का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जल शोधन की प्राकृतिक विधि (फाइटोरेमेडिएशन) से न केवल नदियों की सफाई होगी, बल्कि यह पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाएगा।

प्राकृतिक विधि से नालों का गंदा पानी होगा शुद्ध

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस विधि से गोरखपुर के आठ नालों का गंदा पानी साफ किया जाएगा। इसमें कुल 2.70 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जबकि अगर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना की जाती, तो इसमें 110 करोड़ रुपये का खर्च होता। इस प्रक्रिया में बोल्डर पीचिंग का उपयोग किया जाएगा, जिससे नालों का पानी राप्ती नदी में जाने से पहले शुद्ध होगा। इससे जल के प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।

नदी संरक्षण और लागत में कमी

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यह पहल न केवल जल शोधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे बिजली की खपत और रखरखाव पर होने वाले खर्चों में भी कमी आएगी। हर साल करोड़ों रुपये बचेंगे, जो पहले एसटीपी पर खर्च किए जाने थे। इसके अलावा, यह प्राकृतिक शोधन विधि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।

मुख्यमंत्री ने किया निरीक्षण

मुख्यमंत्री ने तकियाघाट पर इस प्राकृतिक जल शोधन प्रक्रिया का निरीक्षण किया। वह इलाहीबाग से आ रहे नालों का निरीक्षण करते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। उन्होंने गंदे पानी को साफ करने की प्रक्रिया को समझा और जल की गुणवत्ता पर ध्यान दिया। इस अवसर पर महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव और विधायक बिपिन सिंह सहित कई अन्य नेता भी मौजूद थे।

उर्वरता और जीवन के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर में राप्ती नदी और अन्य जल स्रोतों का शुद्धिकरण हमारे पर्यावरण और जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जल को जीवन का स्रोत मानते हुए, यह कार्य हमारी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से स्वच्छ भारत मिशन और नमामि गंगे परियोजना की सराहना की और कहा कि यह पहल पूरे उत्तर प्रदेश और देश में जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की समस्या से निपटने में मददगार साबित होगी।

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